Earthing kya hain इस post के माध्यम से इसे समझने का प्रयास करूँगा. आप ने कई बात electrical equipment को चलते समय छूने के पश्चात current के हल्के झटके महसूस किए होंगे लेकिन कई बार यह झटके इतने तेज हो जाते हैं की खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर देते हैं या फिर मौत का कारण बन जाते हैं.
ऐसी खरतनाक दुर्घटना से बचने के लिए हमेशा electrician के द्वारा सलाह दी जाती है कि building के अंदर खास अर्थिंग किया जाये. अर्थिंग का जो procedure है वह current leakage के लिए को रोकने के लिए सबसे अच्छा उपाय है और light के fluctuation कि स्थिति मे यह घर के appliances या electrical equipment को बचाता है.
Grounding भी एक ऐसा safety process है. यह जिस स्थान पर किया जाता वहाँ जो electric से जुड़े power system होते हैं उनको खराब होने से बचाता है. इसका दूसरा कार्य यह होता है कि अगर electrical system पर overload होने पर यह load को unbalancing करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
Earthing meaning in Hindi – किसी उपकरण को जमीन के साथ जोड़ना
Definition of Earthing in Hindi-
“Earthing वह process है जिसमें कम प्रतिरोध (low resistance ) वाले wire के माध्यम से हम आवेशों (charges ) को सीधे जमीन के अंदर स्थानांतरित( transfer) करते हैं, यही process अर्थिंग कहलाता है.”
Types of Earthing –
वैसे तो अर्थिंग कई प्रकार के होते हैं लेकिन हम यहाँ मुख्यतः दो प्रकार के अर्थिंगकी बात करने वाले हैं जो आप के working site पर देखने को मिलते हैं. इनके काम क्या होते हैं और क्यों लगाए जाते हैं. इस पर भी विचार करेंगे. पहले अर्थिंग के types को जानते हैं जो निम्नलिखित हैं.
1.Conventional Earthing
2.Maintenance Earthing
अब इन दोनों अर्थिंग को विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करते हैं
1.Conventional Earthing –
जब conventional earthing किया जाता हैं तो सबसे पहले एक गड्ढा खोदा जाता है. जिसके अंदर जीआई पाइप या तांबे की पलेट, चारकोल और नमक के बीच रखा जाता है. जहाँ पर यह conventional अर्थिंग लगते हैं ऐसे स्थान को हमेशा गीला (wet ) रखना पड़ता है अर्थात कुछ- कुछ अंतराल पर पानी डालने की ज़रूरत पड़ती है जिसे moisturizer बनी रहे और यह properly work करता रहे.
चूंकि यह पुराना method हैं इसलिए इसे हमेशा रख-रखाव (maintenance ) की ज़रूरत पड़ती है. पानी का समय- समय पर प्रयोग इसलिए किया जाता है कि चारकोल और प्लेट का resistance कम हो और अर्थिंग ठीक ढंग से काम करे.
Types of Conventional Earthing –
यहाँ हम conventional earthing के प्रकार के बारे में बताने वाले हैं जो मुख्यतः चार प्रकार का होता है और भारत में इसी मानक को follow किया जाता है और इसे पुराने समय से प्रयोग करते आ रहे हैं जो निम्न है.
a. Plate Earthing
b. Pipe Earthing
c. Rod Earthing
d. Strip Earthing
a. Plate Earthing –
इस तरह के अर्थिंग को हम गड्ढा खोद कर copper या फिर GI (Galvanized Iron ) का plate जो square के आकार में होता है इसे डालते हैं. यह गड्ढा लगभग 3 meter का होता है. यह जो plate होती है इसमें GI wire या GI plate को जोड़ते हैं और इसके साथ जितने भी equipment का प्रयोग करना होता है सबको लगाते हैं.
इस अर्थिंग का जो सबसे बड़ा drawback होता है वह यह कि यह लंबे समय तक नहीं चलता है और समय-समय पर maintain करना पड़ता है. क्योंकि इसको तैयार करने के लिए जो चारकोल, नमक आदि का प्रयोग किया जाता है कुछ समय के बाद यह destroy हो जाता है और अर्थिंग सुचारु रूप से काम नहीं करता है.
Full Name of GI – Galvanized Iron
b. Pipe Earthing –
इस अर्थिंग के दौरान जिस pipe का प्रयोग किया जाता है या तो वह copper या फिर GI का बना होता है. यह pipe खोखला होता है और इसका प्रयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है जहाँ काफी गहरा जाना होता है.
जैसे- अगर किसी ऐसे स्थान पर अर्थिंग लगाना है जहाँ बालू (sand) की अधिकता होती है ऐसे स्थान पर नमी (moisturizer) की कमी होती है और अगर moisturizer होती भी है तो यह काफी नीचे होती है. ऐसे में GI या फिर copper की plate लगाना उतना नीचे काफी मुश्किल होता है. इसलिए ऐसे स्थानों पर Piper earthing को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है.
इसमें भी एक ऊपर एक सीमेंट का चेम्बर बना होता है जैसे प्लेट अर्थिंग में बना हुआ था. चूंकि अर्थिंग बिना moisturizer का properly काम नहीं करता है. ऐसे में pipe या उसके आस-पास नमी को रखने के लिए एक pipe ले ऊपरी भाग में एक system बना होता है जिसे funnel कहते हैं. Funnel pipe के अंदर पानी डालने का एक माध्यम होता है जो moisturizer को बनाए रखता है.
c. Rod Earthing –
इस अर्थिंग के दौरान हम rod का प्रयोग करते हैं जो GI या iron का बना होता है. इसे temporary earthing कहा जाता है या कह सकते हैं कि एक तरह का यह temporary अर्थिंग होता है. जैसे- welding करते समय हमें अर्थिंगकी ज़रूरत पड़ती है ऐसे में वहाँ हम प्लेट अर्थिंग या पाइप अर्थिंग लगा नहीं सकते तो ऐसे स्थानों के लिए rod earthing का प्रयोग किया जाता है.
इसे हथौड़े (hammer) से जमीन के अंदर ठोकते हैं जहाँ भी इसकी आवश्यकता होती है. अगर यह copper का है तो 12.5 meter इसका diameter हो जाता है और GI का है तो इसका dimension 16 mm का होना चाहिए.
d. Strip Earthing –
इस अर्थिंग में हम एक copper या GI के पट्टी (strip) का प्रयोग करते हैं. अगर आप को अच्छा अर्थिंग चाहिए तो आप ऐसे स्थानों पर copper का प्रयोग करना होता है अन्यथा आप GI का भी प्रयोग कर सकते हैं copper की अनुपलब्धता में. इस strip का dimension 25 mm x 1.6 mm होता है और इसे आधे meter (0.5 meter) ground के अंदर लगाते हैं.
इस अर्थिंग में भी चारकोल, नमक आदि का प्रयोग करते हैं और moisturizer को maintain करने के लिए उस स्थान को हमेशा गीला करते रहना होता है.
2. Maintenance Earthing –
जो maintenance earthing हैं इसे आप modern earthing भी कह सकते हैं. आप ने जो conventional earthing के बारे में देखा या वो अर्थिंग लगाने का पुरानी पद्धति है. Conventional earthing बराबर काम करे इसलिए इसे maintain करतेरहना होता है जिसके कारण यह अत्यधिक expensive हो जाता है.
Benefit of Maintenance Earthing –
- इसका जो सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसे समय-समय पर maintenance की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
- यह अधिक surface को cover करता है और इसकी अर्थिंग , conventional earthing से अच्छा supply provide करता है.
- इसमें जंग लगने की संभावना कर रहता है अगर लगता भी है तो अधिक समय के बाद लगता है.
- इसे आप आसानी के साथ install कर सकते हैं. इसे लगाने में conventional earthing इतना मेहनत नहीं करना पड़ता है.
- इसके अर्थिग में consistency बनी रहती है अर्थात इसका supply हमेशा एक जैसा ही रहता है.
- यह low earthing resistance हैं इसलिए conventional earthing की अपेक्षा इसका performance अच्छा होता है.
- इसे log fife earthing भी कह सकते हैं क्योकि conventional की अपेक्षा यह अधिक चलता है.
आइये maintenance earthing को picture के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं.
Note – उपर्युक्त सभी अर्थिंग की picture मिलने के पश्चात आगे का बचा लिखुंगा