Factories Act 1948 के पिछले पोस्ट में हमने Introduction ,objective of factories act, Preliminary, Interpretation आदि के बारे में discuss किया हुआ था.
Factories Act 1948 के part-2 में हम बताने जा रहे हैं कि inspection staff क्या होता है और यह किस तरह से काम करता है.
The Inspection Staff-
जो भी companies या factories होती है उनका यह दायित्व होता है कि वह काम के दौरान workers या कह सकते हैं कि employee के health और safety का ध्यान रखे.इसके लिए सरकार के तरफ से एक inspection staffs को नियुक्ति किया जाते है जो यह देखते है कि state government के तरफ से जो प्रत्येक company के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य से संबन्धित guide line निर्धारित किया गया है उसको follow करते हुये किसी भी factory के अंदर कार्य को सम्पन्न किया जा रहा है या नहीं.
इनका अर्थात inspection staffs का appointment जिस प्रदेश में factories है उस प्रदेश की सरकार करती है.Inspecting Staff के अंतर्गत factory inspector, factory sub-inspector, factory chief inspector आदि आते हैं.
Details of Inspecting Staff-
1.Inspection staff का appointment उस state का government करता है और वो भी notification के माध्यम से जो official gazette में दिया होता है.Official gazette एक सरकार की magazine है जिसे sate या central government publish करते हैं.
Inspection staff का field होता है वह सीमित होता है अर्थात उनको यह बताया जाता है कि इस-इस area में जो factory है उस पर आप का अधिकार है यानि समय-समय पर inspection staff को उसमें employee के health और safety के बारे में देखना होता है.
Sub Section 2-
Factories Act 1948 के दूसरे sub section में यह कहा गया है कि chief inspection को भी state government नियुक्ति करती है.लेकिन इसका power सीमित नहीं होता है.इन्हे factories के inspection करने कि ज़िम्मेदारी पूरे प्रदेश में होती है. कह सकते हैं कि इसके पास inspector का भी power और अपना खुद का power होता है.
Sub Section 2A-
State Government का अधिकार होता है कि gazette के द्वारा notification देकर वह additional inspector, joint inspector और deputy chief inspector के अलावा और officers को appoint कर सकती है.जहाँ उसे इसकी आवश्यकता लगती है.
Sub Section 2B-
अगर सरकार के द्वारा joint chief inspector, deputy chief inspector या अन्य किसी भी officers को आवश्यकता के अनुसार appoint किया गया है तो उसका अधिकार एक company या factory तक समित न रह के chief inspector कि तरह पूरे प्रदेश में होता है.
Sub Section 3-
ऐसा कोई भी person जिसका directly या indirectly company से जुड़ा हो अर्थात उस factory में व्यक्ति का share हो और benefit ले रहा हो तो ऐसे व्यक्ति को कभी भी chief inspector या factory inspector नहीं के पद पर नियुक्ति नहीं किया जाता है.क्योकि वह अपने स्वार्थ के लिए सारे rules और regulation की धज्जियाँ उड़ा सकता है.
Sub Section 4–
इसके according जितने भी district magistrate (DM ) होते हैं वह अपने district के chief inspector भी हैं.उनका अधिकार होता है अपने जनपद जहाँ वह appoint हैं वहाँ जाकर किसी भी factory के अंदर health और safety से संबन्धित issues को जाँच सकते हैं.
Sub Section 5-
Sub section 5 यह कहता है,अगर state government को लगता है कि जो inspector हैं इनके अलावा और किसी को appoint करने की आवश्यकता है तो public offices के तौर पर किसी और को नियुक्ति कर सकता है जो इस post के लिए qualification रखता हो और बतौर उस post के लिए काम कर सकता हो तो ऐसे person को काम करने के लिए appoint किया जा सकता है.
Sub Section 6-
इस sub section में इस बात की पुष्टि की गयी है कि अगर किसी area में एक से अधिक inspector हों तो state government notification जारी करेगी कि किसको किस तरह का कार्यभार सौंपा गया है और उसका अधिकार कहाँ तक सीमित है.
Sub Section7-
इसके अंतर्गत जितने भी chief inspector जैसे कि joint chief inspector, additional chief inspector या deputy chief inspector ये सभी public servantहै इसको public के लिए काम करना होता है.
Section 9(Powers of Inspector)-
Section 9 को कई भागों में बांटा गया है इसके अंतर्गत हम जानेंगे कि जो inspector government के तरफ से appoint किए जाते हैं वह कितने power रखते हैं. तो आइए इसे देखते हैं-
Section 9(a)-
जहाँ पर inspector काम कर रहें हैं उस area में जिसे factory declare किया गया है वहाँ inspector जा सकते हैं.अगर उसे लगता है कि इसके लिए assistant की आवश्यकता है तो उसे अपने साथ लेकर जा सकता है किसी भी तरह के inspection के लिए.
Section 9(b)-
Factory के अंदर जितने भी machinery part है, article या किसी भी तरह के substances है तो इसका examine (जाँच) कर सकता है.इसके लिए उसके पास पूरी authority होती है.Company इसके लिए inspector को रोक नहीं सकती है.
Section 9(c)-
इस section में यह कहा गया है कि अगर factory के अंदर किसी भी प्रकार का accident हुआ है या dangerous occurrences हुआ है तो बिना किसी रोक-टोक के वह अपने मर्जी से इसका inspection कर सकता है और किसी भी material को जो दुर्घटना का कारण रहा है उसे अपने power में ले सकता है.
Section 9(d)-
यह section इस बात पर ज़ोर देता है कि factory के अंदर जितने भी production register होते हैं या factory से संबन्धित जितने भी document हैं उसे मँगा कर वह उसकी जाँच कर सकता है.
Section 9(e)-
इस section के अंतर्गत chief inspector को पूरा अधिकार होता है कि वह किसी भी company को seize कर सकता है और उस company से संबन्धित जितने भी document होते हैं उसे अपने under में ले सकता है.
Section 9(f)-
यह section यह बतलाता है कि अगर company के अंदर किसी भी तरह कि trendy हुआ है या किसी भी तरह का कोई दुर्घटना हुआ है तो वह directly occupier से बोल सकता है कि जो भी आप का premises या material हैं उसे आप छू नहीं सकते हैं और जो भी area उस inspector के द्वारा seal किया जाता है वहाँ आप जा नहीं सकते,जब तक आदेश न दिया जाए.यह इसलिए कहा जाता है कि investigation के समय root causes का पता करना मुश्किल हो जाएगा.
Section 9(g)-
यह section inspector को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी तरह का measurement ले सकता है, photo खींच सकता है या recording कर सकता है अपने ज़रूरत के अनुसार.
Section 9(h)-
अगर inspector को किसी factory के inspection के दौरान यह लगता है कि company के अंदर उपलब्ध article , object या substances ऐसा है जो workers के health या safety को प्रभावित कर सकता है तो उस area को seal कर सकता है और वहाँ object को dismantle कर सकता है और उसके test कि अनुमति दे सकता है.और उस काम को तब तक रोक सकता है जब तक test का report न आ जाए.
Section 10(Certifying Surgeons )-
1.Certifying surgeons वह होता है जो किसी भी company या factory के अंदर health hazard या occupational health संबन्धित hazard न हो इसकी देख-रेख के लिए certifying surgeons को नियुक्ति किया जाता है.
इसका भी नियुक्ति state government करता है.यह medical practitioners होते हैं जो medical field में काफी experience रखते हैं.
2.अगर state government को लगता है कि यह व्यक्ति certifying surgeons के लिए fit है तो वह उस विशेष व्यक्ति की उस post के लिए appoint कर सकता है.
3.अगर कोई भी occupier है जो किसी company से जुड़ा हुआ है तो उस occupier को certifying surgeon के लिए नियुक्ति नहीं किया जा सकता.जिससे वह अपने फायदे के लिए occupation health hazard को ignore करता रहे.
4.Duties of Certifying Surgeon –
जो certifying surgeon होते हैं उनका क्या काम होता है इस बारे में discuss करते हैं.
a. Company के अंदर जो भी young person काम करते हैं उनके examination और certification का काम करते हैं कि वह company के अंदर काम करने के योग्य हैं.उन्हे कहीं health issues तो नहीं है.
b. Company के अंदर काम हो रहा हो तो कौन ऐसा process है जो heath issues create कर सकता है certifying surgeon के inspection द्वारा किया जाता है.
c.किसी भी factory के अंदर medical supervision करना इनकी ज़िम्मेदारी होती है.Medical supervision के अंतर्गत इन्हे क्या-क्या inspection करना होता है इसे भी जानते हैं.
- अगर उसे लगता है कि इस विशेष काम या manufacturing के कारण health issues खड़ा हो रहा है तो क्यों हो रहा है? कैसे हो रहा है? Work procedure में या कहाँ कमी है जिसे यह हो रहा है इन सभी बिन्दुओं पर ध्यान देना इसका काम होता है.
- अगर किसी भी production के manufacturing में किसी तरह के बदलाव करने के पश्चात occupation health संबन्धित समस्या का सामना करना पड़ रहा है या यह परिवर्तन workers injuries और illness का कारण बन रहा है तो वह इसके बारे में गहन जाँच करता है.
- अगर किसी भी work के दौरान injury होने के या health संबन्धित समस्या का सामना करना पड़ सकता है तो ऐसे स्थानो पर young person को appoint किया जाए.इसकी देख-रेख certifying surgeon के द्वारा किया जाता है.
बाकी के लिए next post का इंतज़ार करें-
इसे भी जाने-
- Factories Act 1948 in Hindi
- Chemical Safety in Hindi
- H2S Gas के Properties, Effects,Hazards और Precautions.
इस पोस्ट में निम्नलिखित बिन्दुओं पर भी ध्यान दिया गया है-
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