Radiation Safety in Hindi | Hazards and Safety Precaution (PART – II)

Radiation Safety, Radiation Hazard and Precaution –

Radiation safety के बारे में इस post में जानेगें.  इससे पहले पिछले topics में हमने radiation क्या होता है? यह कितने प्रकार का होता है, कौन रेडिएशन कितना खतरनाक होता है और उसकी चपेट में आने के पश्चात व्यक्ति को कितना प्रभावित कर सकता है, इन सभी को एक-एक करके जाना. अब उसी रेडिएशन से बचने के लिए क्या तरीका है अर्थात जो radiation है उससे कैसे बचेंगें. इस पोस्ट में उसी के बारे में जानेगें.

Effects of Radiation or Radiation Effects –

अगर कोई व्यक्ति रेडिएशन की चपेट में आ जाता है तो उसे physical रूप से बहुत अधिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. चूँकि radio activity का जो प्रभाव होता है अदृश्य (invisible) होता है इसलिए इसके प्रभाव को न ठीक से देखा जाता है और ना ही जाना जाता है. इसलिए जो व्यक्ति इससे प्रभावित होता है उसे तुरंत इस बात का आभाव नहीं हो पाता है कि वह radio active से प्रभावित हो चूका है. क्योंकि जिस cells से human body बनी है रेडिएशन उसे ही प्रभावित करता है.

 Radiation Effects हो निमं बिन्दुओं के माध्यम से जानते हैं.

  • यही कोई व्यक्ति low level radiation की चपेट में आता है तो वह अधिक प्रभावित नहीं होता है लेकिन वह medium level रेडिएशन की चपेट में आता है तो उसे कमजोरी महसूस हो सकता है, चक्कर आ सकती है, उल्टी के साथ-साथ बुखार भी आ सकता है.
  • इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति high level radiation की चपेट में आता है तो internal organ( Kidney, liver, heart, lungs) आदि damage होने के कारण उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
  • हाँ इस बात को भी जानना आवश्यक होता है कि अगर कोई high level radiation की चपेट में आता है तो उसका इलाज असंभव होता है अर्थात व्यक्ति की मृत्यु सुनिश्चित होती है.
  • अगर कोई व्यक्ति लम्बे समय तक रेडिएशन के समपर्क में रहता है तो वह कैंसर का शिकार हो सकता है.

आइये सबसे पहले रेडिएशन से होने वाले खतरे के बारे में जानते हैं.

Radioactive Hazards-

यह दो तरह के होते  हैं –

a. External Hazards

b. Internal Hazards

a. External Hazards-

रेडिएशन के द्वारा आप के शरीर का बाहरी भाग को अगर नुकसान पहुंचता है तो यह external hazards में गिना जाता है. इससे आप के शरीर के बाहरी भाग जैसे- skin, eye, ear आदि पर प्रभाव पड़ता है. अगर आप के शरीर पर कहीं चोट लगी है तो रेडिएशन आप के लिए अधिक हानिकारक साबित हो सकता है.

b. Internal Hazards-

Radio activity के द्वारा अगर आप के शरीर के आन्तरिक भाग को नुक्सान पहुँचता है इसे internal hazards कहते हैं. जैसे- अगर कोई खाने पीने की चीज रेडिएशन से प्रभावित है और आप ने उसे खा लिए  या फिर सांस के द्वारा या फिर किसी भी तरह से यह शरीर के अन्दर पहुँच जाता है  तो यह blood cells को नष्ट करता ही है, इसके अतिरिक्त यह corm sums को नष्ट कर देता है जिसके कारण मनुष्य के अन्दर संतान पैदा करने की जो क्षमता होती है वह खत्म हो जाती है. मनुष्य के behavior में परिवर्तन आ जाता है.

Radiation Measuring Instruments or Radiation Measurement Device –

Radiation measurements के लिए dosimeter या Gamma Meter का प्रयोग किया जाता है. इसे radiation sensor भी कहते हैं

Radiation Safety | Radiation Protection | Radiation Protector –

जो external रेडिएशन exposure होता है उसके कम करने के लिए कुछ radiation protection होता है जिसको ध्यान में रखना आवश्यक होता है उसे उसे STD के नाम से जानते हैं

 STD Full Form –

S –  Shielding

T – Time

D – Distance

Protection from Radiation अर्थात STD के तीनों alphabet को विस्तृत रूप से समझते हैं.

Shielding-

  • जहाँ रेडिएशन होता है या फिर जहाँ इसकी संभावना रहती है, ऐसे स्थान पर radiation safety के तौर पर अगर कोई ऐसे वस्तु रख देंगे जिसकी क्षमता radiation को रोकने की हो तो वहाँ आस-पास गुजरने या काम करने वालों को बहुत कम radiation लगेगा. जो भी वस्तु radiation safety के लिए रखा जाता है उसी को shielding कहा जाता है.
  • Beta particles को रोकने के लिए aluminum की sheet या फिर transparent plastic की मोटी sheet रख कर shield की जाती है जिससे rays से कोई प्रभावित ना हो सके.
  • Gamma rays को रोकने के लिए concrete की मोटी shield या फिर lead shield का प्रयोग किया जाता है.

Time –

  • अगर कहीं कार्य के दौरान रेडिएशन निकल रही है तो वहाँ पर कम से कम समय व्यतीत करनी चाहिए.
  • वैसे तो कार्य करते हुए जहाँ radiation निकल रहा होता है वहाँ पर रेडिएशन सेफ्टी के लिए complete protection दिया जाता है, फिर भी ऐसे स्थानों पर रुकने की समय अवधि कम कर देनी चाहिए.
  • Radiation safety के लिए देखना होता है कि अगर कहीं radiation निकल रहा है और वहाँ कार्य हो रहा है तो अगर वहाँ समय की कटौती कर के आधा समय वहाँ व्यतीत करते हैं तो half radiation exposure की चपेट में ही आयेगें. यह method आप के स्वस्थ्य के लिए बहुत प्रभावित होता है.

Distance –

  • जहाँ radiation exposure area है और जो व्यक्ति है अगर उसके बीच की दूरी को बढ़ा देते हैं तो जो exposure की quantity है वह कम हो जाएगी जो व्यक्ति के health को अधिक प्रभावित नहीं करेगी.
  • अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे radiation source के साथ काम कर रहा है जहाँ shielding नहीं की गयी है या की भी गयी है तो वह पर्याप्त नहीं है तो radiation exposure area से जितना ज्यादा से ज्यादा दूरी हो उसे maintain कर लेना चाहिए. यह technique बहुत प्रभावित होता है.

Radiation Safety Precaution –

Radiation Safety training के दौरान निमं बिन्दुओं के बारे में अवश्य बताना चाहिए.

  • अगर किसी भी व्यक्ति को रेडिएशन से प्रभावित area में जाना हो तो वहाँ प्रवेश करने से पहले dosimeter से रेडिएशन के प्रबलता (intensity) को माप लेना चाहिये.
  • जहाँ radio activity बहुत अधिक है तो ऐसे स्थान पर भूल कर भी प्रवेश नहीं करना चाहिए.
  • रेडिएशन के intensity को मापते हुए कभी एक ही dosimeter पर विश्वास नहीं करना चाहिए. हमेशा दो dosimeter से reading लेना चाहिए और दोनों में परिणाम सामान या थोडा बहुत ईधर-उधर दिख रहा हो तभी प्रवेश लेना चाहिए.
  • अगर किसी भी area में 20R( Rengen) radio activity की प्रबलता है तो उस area में जाया जा सकता है. अगर उस स्थान पर radio activity 20R से अधिक है तो वहाँ प्रवेश प्रतिबंधित होता है.
  • अगर कोई व्यक्ति चोटिल है अर्थात उसके body part कहीं कटा है तो ऐसे व्यक्ति के लिए radiation exposure area में प्रवेश प्रतिबंधित होता है. क्योंकि चोटिल व्यक्ति को rays के चपेट में आने की प्रबल सम्भावना होती है.
  • Radio active area में कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए.
  • Radio exposure area में जाने से पहले पूर्ण रूप से personal protective equipment को पहन लेना चाहिए.
  • जिस tools, equipment या फिर material की आवश्यकता नहीं होती है उसे radiation effected area में नहीं ले जाना चाहिए.
  • जहाँ radio active material को store किया गया है या फिर radio active area में symbol को display कर देना चाहिए जिसे आगंतुक या कोई भी व्यक्ति उधर प्रवेश ना करे.
  • Radio active area में कार्य सम्पन्न होने के बाद वहाँ जितने भी tools, material या फिर PPE का प्रयोग हुआ है उसे जाँच करना आवश्यक होता है.
  • आप radioactive material के द्वारा कार्य कर रहे हैं तो यह देखना आवश्यक होता है की कार्य करने वाले और radioactive material के बीच उचित shield की व्यवस्था की गयी है या नहीं.
  • जो रेडिएशन से प्रभावित चीज़े होती हैं उन्हें कभी छूना नहीं चाहिए.

Fire Fighting Procedure of Radioactive Materials –

  1. Radioactive material के fire fighting के लिए area को तीन भागों में बाँट लेना चाहिए.
  • Cold Zone – इसमें क्षेत्र में radioactive का खतरा बहुत कम रहता है.
  • Buffer Zone – इस zone में fire का खतरा cold zone से थोडा अधिक होता है.
  • Hot Zone – इसमें fire का खतरा सबसे अधिक होता है.
  1. जो fire fighting की strategy होती है वह cold zone से शुरू करनी चाहिए.
  2. Radioactive zone में काम करते हुए इस बात का ध्यान रखना है की समय–समय dosimeter से radioactive intensity को समय-समय पर जाँच करते रहना है.
  3. Radioactive zone में fire fighting करते समय हमेशा rotation method का प्रयोग करना चाहिए अर्थात किसी एक व्यक्ति को लगातार fire fighting नहीं करने देना चाहिए.
  4. जहाँ रेडिएशन का खतरा है उस exposure area में कम से कम व्यक्तियों को आना चाहिए .
  5. अगर किसी fire fighter को चोट लगी है तो radioactive zone में उसे fire fighting के लिए कभी नहीं भेजना चाहिए.
  6. Fire Fighting के पूरा होने के बाद जो भी fire fighter हैं उन्हें तुरंत अस्पताल भेजना चाहिए जिससे यह जाँच किया जा सके कि कहीं वह radiation के प्रभाव में तो नहीं आ गए हैं. क्योंकि इसका प्रभाव तुरंत नहीं पता चल पाता है
  7. Fire fighting करते समय जो भी इक्विपमेंट प्रयोग में लाये गए हैं उसे detergent से साफ़ करना चाहिए.
  8. Fire fighting करते हैं हवा के बहाव को monitor करना होता है और अगर fire fighting करने के लिए proper space है तो हवा की दिशा में खड़ा होकर fire fighting करना चाहिए.
  9. कुछ radioactive material होते हैं वह पानी के साथ reaction करते हैं. अगर आवश्यक हो तो TEC Powder (Ternary Eutectic Chloride) का प्रयोग करें. इसके अतिरिक्त fire fighting के लिए DCP या फिर CO2 का प्रयोग कर सकते हैं.

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