Management of Contractor

Management of Contractor According to NEBOSH Syllabus –

Contractor की यह ज़िम्मेदारी होती है कि वह कार्य स्थल पर सुरक्षा को सुनिश्चित करे. अगर कोई ठेकेदार अपने responsibilities को पूर्ण नहीं करता है अर्थात कार्य स्थल पर अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करता है तो उसे प्रतिबंधित किया जा सकता है.

NEBOSH IGC के syllabus के अंतर्गत आने वाले contactor के दायित्वों के 5 Steps को हम यहाँ विस्तृत रूप से जानेंगे

The Five Steps are –

  1. Planning
  2. Choosing a Contractor
  3. Contractor Working on Site
  4. Keeping a Check
  5. Reviewing the Work

Step 1.Planning –

Defining the Job –

Client को उस कार्य के सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से पहचान करने की आवश्यकता होती है जो contract से करवाना चाहते हैं. और इसमें जिस कार्य की तैयारी की जा रही है उसे भी पूरा करने के चरण को शामिल करने की आवश्यकता होती है.

Risk Management –

कार्य से पहले जितने भी risk management procedure होते हैं उसमें client और contractor को शामिल करना होता है. Client के पास अपने own business के बारे में पहले से ही risk assessment उपलब्ध होना चाहिए. Contractor को यह चाहिए कि उसके कार्य में risk को access करने में वह पूर्ण रूप से involve रहे.

Client और contractor को कार्य के दौरान अर्थात जो कार्य प्रगति पर हैं उसमें risk assessment activities पर पूर्ण सहमति होनी चाहिए. यदि इन गतिविधियों में subcontractor शामिल है तो उसे भी risk assessment के discussion और agreement में involved होना चाहिए.

Specify Condition –

जो भी contractor हैं उन्हे स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबन्धित जितने भी expected standards होते हैं उससे अवगत कराया जाना चाहिए. और जो भी स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबन्धित प्रक्रियाएं हैं, इसके अलावा कार्य के दौरान जिस भी permit system का प्रयोग करना है contractor से साझा किया जाना चाहिए.

इसके अलावा जो भी सुरक्षा नीति है उसे contractor को बताया जाना चाहिए और उसे अपनी सूझ-बुझ से इसकी पुष्टि करनी चाहिए और फिर इसके बाद कार्य को आगे बढ़ाने के लिए सहमति प्रदान की जानी चाहिए.

Step 2. Choosing a Contractor –

किसी भी project के लिए जब किसी contractor को चुना जाता है तो इसके चयन करने के कई मापदंड निर्धारित किए गए हैं. जैसे –

  • Contractor की उपलब्धता.
  • उसके पास लागत कितनी है.
  • उसके पास तकनीकी क्षमता कितनी है.
  • Market मे उसकी विश्वसनीयता कितनी है.
  • Employee के स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रति वह अपने दायित्व का निर्वहन करता है या नहीं

इसके अलावा client को खुद को संतुष्ट करने के लिए उचित कदम उठाने होंगे तथा यह देखना होगा कि जिस ठेकेदार को project handover किया जा रहा है वह स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबन्धित जोखिमों को लिए बिना कार्य करने के लिए सक्षम है या नहीं.

जहां तक contractor के योग्यता की बात है तो यह पूरी तरह से होने वाले कार्य पर निर्भर करता है. और contractor की क्षमता से संतुष्ट होने का सबसे अच्छा तरीका first- hand experience है.

एक contactor किसी भी प्रोजेक्ट के लिए सबसे योग्य तब होगा जब उसको इससे पहले उस तरह के कार्य में प्र्याप्त अनुभव प्राप्त होगा. इसलिय contractor पूर्व के कार्य के अनुभव के बारे में विस्तृत जान लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है.

किसी भी project के tender से पूर्व यह देखना आवश्यक होता है कि contractor उस contract के लिए suitable है या नहीं, इसके लिए project से संबन्धित question पूछना चाहिए और यह प्रश्न पहले से तैयार होना चाहिए.

Suitable Contractor के लिए निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है –

  • जो कार्य किया जाना है उसके प्रति उसका अनुभव क्या है?
  • Health और Safety policies का ज्ञाता है या नहीं और उसे पूर्व कार्य में इसका अनुभव है या नहीं.
  • वर्तमान समय में उसका health और safety performances क्या है ( जैसे –पूर्व कार्य के देख-रेख में दुर्घटना की संख्या क्या थी.)
  • जो भी contract होना है उसके लिए उसके पास प्र्याप्त योग्यता और कौशल है या नहीं.
  • Contractor के पास Sub-Contract के चयन प्रक्रिया का अनुभव है या नहीं वो भी सुरक्षा विधि का विशेष ध्यान देते हुये.

Step 3.  Contactors Working on Site –

कोई भी contractor किसी भी working site पर कार्य कर रहा होता है तो विशेष arrangements करने होते हैं जो निम्न है.

  1. Visitor sign के माध्यम से working site पर ठेकेदारों के गतिविधिओं को प्रतिबंधित करे और उसे कंट्रोल करे यदि संभव हो तो permit-to-work का प्रयोग करे।
  2. कार्य शुरू करने से पहले contractor को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए technical और management control वर्किंग साइट पर उपलब्ध है या नहीं ( जैसे – काम के दौरान सही उपकरण का उपलब्ध है या नहीं .और काम के दौरान प्रयोग किया जानी वाला Personal Protective Equipment सभी के पास उपलब्ध है या नहीं. प्रत्येक कार्य के लिए permit दिया गया है या नहीं तथा सुरक्षा प्रणाली के प्रत्येक नियम वहाँ कार्य करने वालों को पता है या नहीं)

इसके अलावा contractor को निम्न arrangement की भी आवश्यकता होती है –

  • कार्य स्थल पर कार्य संबन्धित सूचना के लिए, instruction के लिए तथा training के लिए पूर्ण arrangements है या नहीं.
  • Management और Supervision की टीम का arrangement कर दिया गया है या नहीं.
  • Working Site पर परामर्श करने वाला कोई है या नहीं.
  • Co-operation और co-ordination के लिए एक दूसरे तैयार हैं या नहीं.
Step 4. Monitoring the Contract –

Contractor और sub-contractor अर्थात सभी पक्षों को अपने working site पर स्वास्थ्य और सुरक्षा के performance का आंकलन करते रहना चाहिए तथा risk को assessment करना चाहिए, और उसके लिए प्रभावित control measure क्या हैं? तथा वह असरदार है या नहीं इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

निगरानी का स्तर जोखिमों पर निर्भर करता है अर्थात जितना बड़ा जोखिम होगा उतनी ही अधिक बार निगरानी होगी.

Contractor और sub-contractor को दिन-प्रतिदिन यह देखनी चाहिए या जाँच करनी चाहिए कि जो किया जाना चाहिए वह किया जा रहा है या नहीं.  और client को Contractor और sub-contractor के कार्य को समय- समय पर जाँचते रहना चाहिए कि कार्य के लिए जो आपसी सहमति बनी थी उसके अनुसार कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है या नहीं?

सक्रिय निगरानी और reactive investigation से जो जानकारी इकट्ठी कि गयी है उसे भविष्य के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग क्यी जाना चाहिए.

Client को चाहिए कि यदि Contractor के आपसी सहमति के अनुसार अगर कार्य का संचालन नहीं किया जा रहा है तो वह उसके खिलाफ उचित करवाई करे कि बचे हुये कार्य को मानक दृष्टि का ध्यान रखते हुये सम्पन्न किया जाए.

Step 5. Reviewing the Work –

कार्य समापन के बाद Client और Contractor को बाद में कार्य कि समीक्षा करनी चाहिए कि क्या future में कार्य के प्रदर्शन में सुधार किया जा सकता है. Client को कार्य और ठेकेदार दोनों की समीक्षा करनी चाहिए और फिर उसके बाद इस बात पर विचार करनी चाहिए कि contractor का कार्य प्रभावशाली रहा या नहीं?

Client को इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि जहाँ गलती हुयी वहाँ सीखते हुये पुनः गलती ना करने के लिए कदम उठाए गए या नहीं.

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