आज हम इस post के अंतर्गत factories act 1948 के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे.
अगर हम 18th century से पहले की बात करें तो India के लोगों का जो source of income कृषि(agriculture) था.आप इसे इस तरह से कह सकते हैं कि India के लोग अपने घर के खर्च को चलाने के लिए खेती के ऊपर पूरी तरह से निर्भर थे.
अठारहवीं शताब्दी के माध्य का इतिहास देखें तो हमें पता चलेगा कि वही यह दौर था जब भारत में industries लगने शुरू हुये और उस समय भारत British Government के अधीन था.और इसी दौर को industrial revolution के नाम से जाना जाता है क्योकि इसी समय industries भारत में लगने शुरू हुये थे.
जब industrial revolution शुरू हुआ तो उस समय cotton की demand सबसे ज्यादा थी और जो factory की उस समय स्थापना हुयी वह cotton से ही संबन्धित production ज्यादा करती थी.उसके बाद लोगों के आर्थिक स्थिति से थोड़ा बहुत सुधार होने लगा.क्योंकि लोगों के पास income के स्रोत दो हो गए,एक खेती करके जीवन यापन करना और दूसरा cotton factory में काम करके अपनी जीविका चलाना.
जब लोगों के पास factories में काम करने का विकल्प शुरू हुआ तो ज्यादा संख्या में लोग गाँव छोड़ कर शहरों की तरफ कूच करने लगे.क्योकि जिसके पास खेती नहीं थी या थोड़ी बहुत थी जो जीविका के साधन के लिए काफी नहीं था तो वह शहरों की ओर रुख कर cotton factory में का करने लगे.
अंग्रेजों से इसी बात का फायदा उठाया, unemployment के कारण उन्हे बहुत कम पैसे में मजदूर मिलने शुरू गए.
अगर कोई इंडियन उन factory में काम करता था तो उसे 20 रुपए मिलते थे जबकि वही काम अगर गोरों के द्वारा किया जाता था तो उन्हे 100 रुपए दिये जाते थे.उस समय बेरोजगारी बहुत ज्यादा थी जिसके कारण लोग इसे स्वीकारते भी थे और factory में काम करने के लिए बाध्य भी रहते थे.
जब workers शहरों मे ज्यादा पहुँचने लगे तो एक समय ऐसे भी आया की factories के द्वारा उनके आवश्यकताओं को ignore किया जाने लगा जिसके कारण उसके स्वस्थय और सुरक्षा से संबन्धित समस्या का सामना करना पड़ रहा था.
Workers Problems that time during the work-
जब workers factories में काम करने लगे तो उनकी आवश्यकताओं को factories के द्वारा नहीं पूरा किया जा था.आइए कुछ आवश्यकताओं के बारे में देखते हैं.
1.Poor and Unhygienic Working Condition-
Factory के अंदर जहाँ भी workers काम करते वहाँ साफ-सफाई का बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया जाता.जिसके कारण उनका स्वस्थय प्रभावित होता था और बीमारियाँ जैसे T.B , अस्थमा, कैंसर, हैजा आदि से workers चपेट में आते रहते.
2.No Holidays-
जो workers factory के अंदर काम करते थे वह physically और mentally पूरी तरह से थक जाते थे क्योंकि उन्हे बिना किसी छुट्टी के 30 दिनों तक काम करने होते थे.इसके अलावा उन्हे किसी भी festival पर छुट्टी नहीं मिलता था.छुट्टी लेने पर salary में कटौती का सामना करना पड़ता था.आज भी गुजरात के टेक्सटाइल Mills में बिना किसी छुट्टी के workers को काम करना पड़ता है.
3.Overtime –
अब तो over time करने के पश्चात अधिक payment दिया जाता है लेकिन उस समय ऐसा प्रावधान तो बिलकुल भी नहीं था.अधिक समय तक काम करने के पश्चात किसी भी तरह का अधिक भुगतान नहीं किया जाता था.कह सकते हैं की workers का शोषण उस समय चरम पर था.
4.Health and Safety Issues-
जब उस समय cotton का production होता था और लोग काम करते थे तो वहाँ hazards और health को लेकर बहुत सारा issues थे जिसके कारण accident होता था और लोग बीमार पड़ते थे फिर भी उसे ignore किया जाता है.
5.Lack of Welfare Facilities-
जितने भी employees cotton factory के अंदर काम करते थे उन्हे company में न तो toilet की facilities थी,न ही living room मिलता था,न ही किसी भी प्रकार का accommodation या food दिया जाता था अर्थात किसी भी प्रकार की facilities से workers से वंचित रखा जाता था.
ऐसे जब workers को लगने लगा की उनके rights को छिना जा रहा है तो workers और यूनियन के द्वारा स्ट्राइक किया गया तो 1881 में factories act लागू किया गया.लेकिन यह सिर्फ factories के अंदर काम कर रहे children के लिए था.जिससे की बच्चों के सुविधाओं को बढ़ाया जा सके.
एक बात आप को और जानना चाहिए कि जो British government के तरफ से factories rules लगाए गए थे वह Indians के लिए नहीं था.वह केवल गोरों पर ही लागू होता था.
- Personal Fall Arrest System (PFAS) Component Training
- Work at Height Definition,Hazards,Control Measure in Hindi
After Independent India-
जब भारत आजाद हुआ तो उसके बाद 1948 में factories act बन कर तैयार हो गया था .लागू करने का दिन 1st April 1949 था अर्थात यह प्रभाव में 1 अप्रैल 1949 को आया.
Objective of Factories Act,1948-
जब factory act लागू किया गया तो उसका क्या उद्देश्य था, इसे हम निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझते हैं-
1.To assure the health and safety workers-
इसको लागू करने का पहला उद्देश्य यह था कि कोई भी workers या employee किसी भी factory या company में काम कर रहे हैं तो उनके heath और safety को सुनिश्चित किया जाए और काम के दौरान किसी भी प्रकार का दुर्घटना न हो और workers के health से संबन्धित किसी भी प्रकार का issue create न हो.
2.Improve the welfare facilities –
इसको लागू करने का दूसरा उद्देश्य यह था की company के अंदर काम करने वाले employee को वो सभी सुविधायें उपलब्ध कराई जाएँ जिसके वो हकदार हैं.जैसे की कार्य स्थल पर toilet, living room, rest room, fresh water, canteen आदि की व्यवस्था work place पर उपलब्ध कराना.
3.Proper working hours –
जब भारत British rules के under में था तो Indian workers के लिए proper working time नहीं था और over time कराने के पश्चात उन्हे उसके अनुसार wages नहीं दिये जाते थे.जब factories act 1948 act लागू हुआ तो उसका उद्देश्य यह था कि काम करने का एक समय निर्धारित किया जाये और अगर कोई extra work कर रहा है तो उसे उसके wages दिये जाए.
कहने का तात्पर्य यह है कि company के अंदर जो workers काम कर रहे हैं उनके साथ शोषण न किया जाये जैसेकी British rules में किया गया था.
हम आप को यह बताना चाहेंगे factory act के अंदर 11 chapter मिलेंगे और उसके साथ 120 section मिलेगें.जब यह पूरा जान लेगें फिर हम factory act को विस्तृत रूप से समझ सकते हैं.
Chapter कुछ इस तरह हैं-
- Preliminary
- The Inspect Staff Process
- Health
- Provision related to hazards
- Welfare
- Working hours of Adult
- Employment of young person
- Annual leave with wages
- Special Provision
- Penalties and Procedure
- Suppliments
आइये उपर्युक्त बिन्दुओं को अलग-अलग और विस्तृत रूप से जानते हैं-
- Fire Diamond in Hindi या NFPA704
- Hazard Identification and Risk Assessment(HIRA) in Hindi । संभावित खतरों की पहचान और उसका Risk Assessment.
Preliminary-
Section –
1.Short title ,extent and commencement-
Short title कहता है जो act हम पढ़ रहे हैं उसे किस नाम से जाना जाएगा तो अप को बता दूँ कि या Factories Act 1948 के नाम से जाना जाता है.Extent यह कहता है की इसे कहाँ तक लागू किया गया.? इसका उत्तर यह हुआ कि यह पूरे India लागू हुआ और इसका असर पूरे भारत में है.Commencement यह कहता है कि factories Act कब लागू हुआ तो यह 1 अप्रैल 1949 को लागू हुआ जबकि यह बन के 1948 में ही तैयार हो गया था.
2.Interpretation-
- Adult-
इसके अंतर्गत यह बताया गया कि जो workers 18 साल का हो गया है वह adult कहलाएगा अर्थात वह किसी भी factory के अंदर काम करने की अनुमति दी जा सकती है.
- Adolescent-
अगर किसी भी व्यक्ति का age 15 से ऊपर है और 18 से नीचे है तो वह व्यक्ति adolescent में आएगा.
Bb. Calendar Year-
एक बारह महीने का समय जो 1 जनवरी से शुरू होता है और जब बाहर महीने complete हो जाता है यही calendar year कहलाता है.
- Child-
Child के श्रेर्णी में जितने भी 15 years से कम होंगे वह इसकी categories में आएंगे.
Ca. Competent Person-
कोई भी व्यक्ति अगर किसी भी काम को करने जा रहा तो उस काम में उसे महारथ हासिल हो अर्थात वह उस काम के लिए qualified हो, well trained हो,well educated या experience हो वह व्यक्ति competent person कहलाता है.
Cb. Hazardous Process-
Manufacturing के किसी भी process में खतरे की संभावना हो जहाँ काम के दौरान workers के health पर किसी भी प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है वह hazardous process कहलाता है.
- Young Person-
ऐसा कोई भी व्यक्ति या तो वह child हो या adolescent है वो वह young person कहलाता है.
- Day-
24 hours अर्थात Midnight से midnight तक का समय day कहलाता है.
- Week-
Mid Night के Saturday से जो साथ दिन होता है उसे week कहते हैं.
- Power-
यहाँ power का मतलब यह है की ऐसा energy जो human के द्वारा नहीं बल्कि electricity या machine के द्वारा generate किया जाता है power कहलाता है.
- Prime Mover –
ऐसा कोई भी engine या motor जिससे कोई भी electricity या किसी भी प्रकार का power generate होता है Prime Mover कहलाता है.
1.Transmission Machinery-
ऐसा machinery जो primary mover को rotate करने के लिए प्रयोग किया जाता है.उदाहरण के लिए हम Pulley, chain कह सकते हैं prime mover parts को घूमता है.इसी को transmission machinery कहते हैं.
आप ने turbine को move करते देखा होगा जिसे घुमाने के लिए pulley, chain, shaft आदि का प्रयोग किया जाता है उसी को transmission machinery कहा जाता है.
- Machinery-
किसी भी transform energy को generate करने के लिए primer mover, transmission machinery या और किसी appliances का प्रयोग किया जाता है इसी को machinery कहा जाता है.
- Manufacturing Process-
जब किसी भी काम के दौरान making, repairing ,finishing, oiling, washing, packing आदि work को हम manufacturing process के श्रेणी में रखते हैं.
- Worker-
ऐसा कोई भी person जो या तो directly या किसी agency के द्वारा company में appoint किया गया है उसे worker कहते हैं या दूसरे शब्दों में कह सकते हैं किसी भी organization के अंदर काम करने वाला प्रत्येक व्यक्ति workers कहलाता है.
2.Factory means (Factory ka kya matlab)-
अगर किसी भी स्थान पर 10 या 10 से अधिक workers एक साथ 12 महीने के अंदर किसी एक दिन या रोजाना machine के द्वारा काम कर रहे होते हैं तो हम उसे factory कहते हैं.
3.References to time of day-
समय को ऐसे निर्धारित नहीं किया गया है इसका भी एक standard है जो Green which Mean Time से साढ़े पाँच घंटे आगे का होता है.जैसे मान लीजिये green which time में 3 बजे हैं तो ऐसे में India में 8:30 बज रहे होंगे.
7.(A) General Duties of Occupier-
इस बिन्दु के अंतर्गत occupier के general duties के बारे में जानेंगे.यहाँ occupier का अर्थ company या उसका का मालिक, contractor हो सकता है .आइये उसके responsibilities के बारे में जानते हैं.
1.Occupier की ज़िम्मेदारी यह होती है कि कंपनी के अंदर काम कर रहे working time में जितना हो सके वह workers के health, safety और welfare( सुविधाएं) का ध्यान रखे.
2.जो plant, factory है उसे समय-समय पर maintenance होना चाहिए अन्यथा company के अंदर health से संबन्धित issue होते रहेंगे और risk का level बढ़ जाएगा.
3.जो company के अंदर workers काम कर रहे हैं उनको instruction देना है, training देना है और उनके कार्यों को देख-रेख के लिए proper supervisor को appoint करना होता है यह occupier का तीसरा काम होता है.
4.1948 act के अंतर्गत Company का जो भी occupier होता है उसे health और safety से संबन्धित नियम बनाने चाहिए जिसे काम के समय अनुसरण किया जाये और वो workers काम कर रहे हैं उनके कार्य स्थल पर health और safety से संबन्धित issues को दूर किया जा सके.
7.(B)- General Duties of Manufacturer-
आइये अब manufacturer के general duties को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से जानते हैं-
1.Company के अंदर जब कोई workers जिस articles का प्रयोग कर रहा हो तो manufacturer की यह ज़िम्मेदारी होती है कि वह इस तरह से design किया गया हो तो कि workers को health या safety से संबन्धित किसी भी प्रकार का issue न हो.
Note – यहाँ article से मतलब building का structure या machine का design
2.इस बिन्दु के अंतर्गत यह आता है कि company में जिस article का प्रयोग किया जा रहा हो उसकी condition कैसी है, किस तरह काम कर रहा है, कहीं technical fault होने के बाद भी तो उसका प्रयोग तो नहीं किया जा रहा है.यह manufacturer की responsibility होती है.
क्रमश:
आगे पढ़ें के लिए अगले पोस्ट का इंतज़ार करें.
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